" भूख"
भूख एक़ अजब दास्ता है '
जहा पूरणविराम नही लगता '
भूख एक चिंगारी भी है ,
लग जाये तो बुझने का नाम नहीं लेती '
भूख एक हबश भी है '
जहा पहुचने पर लोट आना मुश्किल है ,
भूख एक ऐसी लगन भी है
जिसके बिना मनुस्य अधूरा भी है
भूख एक ऐसी शूरा भी है
जिसको पाने के लिए सभीलालायित रहते है
भूख तो भूख ही है
जो सदैव ,सोते जागते, उठते बैठते
छाया कि तरह,सदैव साथ रह्ती है
जहा पूरणविराम नहीं लगता ,
B . S . SHARMA .
भूख एक़ अजब दास्ता है '
जहा पूरणविराम नही लगता '
भूख एक चिंगारी भी है ,
लग जाये तो बुझने का नाम नहीं लेती '
भूख एक हबश भी है '
जहा पहुचने पर लोट आना मुश्किल है ,
भूख एक ऐसी लगन भी है
जिसके बिना मनुस्य अधूरा भी है
भूख एक ऐसी शूरा भी है
जिसको पाने के लिए सभीलालायित रहते है
भूख तो भूख ही है
जो सदैव ,सोते जागते, उठते बैठते
छाया कि तरह,सदैव साथ रह्ती है
जहा पूरणविराम नहीं लगता ,
B . S . SHARMA .
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