Friday, July 24, 2015

" आत्मग्लानि के शिकार भृगुवंशी ,डकोत -ब्राह्मण "

                                            "  आत्मग्लानि के शिकार भृगुवंशी ,डकोत -ब्राह्मण "
                                      बंधुवर :::::::    इसे वक़्त की विडंबना  कहा  जाये  या भाग्य विडंबना ,जहां अपने
      ही देश में, अपने ही समाज  के  भाइयो  द्वारा ही, बिना किसी कारण के पुरे समाज  के लोगो को तिरस्कार
      मिले , आत्मग्लानि का शिकार  होना पड़े , वो भी इसलिए की उस समाज के लोग दूसरे समाज के लोगो के
      दुःख -दर्द  में शामिल होकर  "यजमान " को दान -दक्षिणा  के  एवज  में सुख देने का कार्य करे  और दान
      दाता को शांति प्रदान करे , वो समाज कोई और नही , वो है आपका अपना  " डकोत -ब्राह्मण " समाज।
     जिन्हे ,शनि ,शनिस्चर्या ,देशांतरी ,इत्यादि   नामों  से जाना जाता है।
                                       लेखको , शोधकर्ताओं ,ग्रंथो , के अनुसार  इन्हे भरगुवंसज  अर्थात , मह्रिषी भरगु
     ( भरगु  संहिता  के रचयिता ) एवं  भरगु जी के पुत्र ( मह्रिषी शुक्राचार्य ) के वंसज  के रूप में देखा जाता है..
    फिर  क्यों , उन्ही लेखको ,शोधकर्ताओं ने कई पुस्तको में  इन्हे ( Degrade Brahmno ) ki  संज्ञा देकर
    तिरस्कार से सुशोभित किया गया है।  इस प्रकार की बातो को किवदंतियों का रूप दिया जाये या फिर
    वक़्त की विडंबना , जबकि इस किस्म का पौराणिक प्रमाण किसी भी लेखक या शोधकर्ता को  अभी तक
    नही  मिल पा रहा है।  ब्राह्मण का काम  दान लेना है , ब्राह्मण तो ब्राह्मण ही है फिर यह (de-grade)
   brahmn  शब्द  क्यों और कैसे बना।  इसलिए की वो  ( यजमान ) के कर्मो को ( शनि दान ) के रूप में
  महाराज शनि जी की क्रूर दृस्टि से  बचाते  हुए उनके बुरे कर्मो का लेखा -जोखा अपनी झोली में डाल लेते
  है।  क्यों  है  ? आखिर ऐसा।
                                       यदि ऐसा है तो भारतवर्ष में असंख्य  +शनि मंदिर + बने हुए है ,जिन में
लाखो -करोड़ो का चढ़ावा आता है ,कभी सोचा है किसी ने की वो चढ़ावा किस के पास जाता है , उन मंदिरो
में क्या " डकोत  ब्राह्मण " ही पुजारी है ,   नही ऐसा नही है , उन मंदिरो में उच्च कोटि के अच्छी पहुंच
वाले ब्राह्मण है , उस लाखो करोड़ो का चढ़ावा कौन डकार रहा है ( ग्रहण ) कर रहा है  ( उन्हें degrade)
brahmn  की संज्ञा  क्यों नही दी जाती , उन सभी मंदिरो में वे  ही लोग शनि दान ग्रहण कर रहे है , जो उच्च
कोटि के ब्राह्मण है , फिर समाज में ऐसा भेदभाव क्यों ; ( डकोत -ब्राह्मण ) का तगमा पहना कर उन्हें
(scapegoat) बना दिया गया है , केवल (scapegoat )  किसी ने कहा है की धन के मालिक हम , और
तिरस्कार के तुम ; ./ …
                                 वर्तमान में कुछ  युवा वर्ग ( डकोत -ब्राह्मणो ) के बच्चे दान -दक्छिना ) से
परहेज करते देखे गए है , उन्हें नही पता की डकोत जाति  क्या होती है ,क्यों की दूसरे समाज के लोग ,
उनके बच्चे  आपस में घुल -मिल गए है , युवा वर्ग अपनी मेहनत ,पर विश्वास करते है , कई ( NGO)  के
सर्वे रिपोर्ट से भी आभाष मिलता है की शनि दान लेने वाले दूसरी जाति के लोग अधिक पाये गए है।
वक़्त के बदलते परिवेश में डकोत  ब्राह्मण समाज के लोगो , बच्चों द्वारा  अपना कारोबार , या नौकरी ,पेशे
पर ज्यादा धयान दिया जा रहा है ,कई प्रांतो में देखा गया है की डकोत ब्राह्मण समाज के बच्चे ,लोग
अपनी छमता से   ( A class officer , Engineer , Director ) इत्यादि पोस्ट पर काम कर रहे है ,सेवा
निवृत भी हो चुके है , जिनकी लिस्ट एवं फोटो अगली पोस्ट में दी जाएगी।  केवल इतना जरूर है की
इनकी जनसंख्या  कम होने के कारण इनका कोई ( Candidate ) पिछले काफी अरसे से अपनी एंट्री संसद ,
विधानसभा में नही करा पाया है।
                                वक़्त के बदलते परिवेश में  समय की पुकार है की डकोत ब्राह्मण समाज के योग्य
बच्चे अपना जीवन-साथी भी स्वयं ही चुनने लगे है दूसरे समाज के लोग ,बच्चे भी आपस में मिलजुल कर
रहते है, दूसरे समाज के लोग बच्चो से प्रभावित होकर आपस में सम्बन्ध ( विवाह  संबंध ) आदि भी
करने लगे है , धीरे धीरे समय की रफ़्तार नया रंग दिखाने लगी है ,प्यार बढ़ाने लगी है। ऐसा ही सब चलता
रहा तो  ( शनि दान देने वाला ) दानदाता को  पहचान करनी मुस्किल हो जाएगी की दान ग्रहण
करने वाला कौन है, यही वक़्त का तकाजा भी है. :::::::
       
            नोट :- इस लेख से मेरी भावना किसी को चोट पहुचना या हानि करना नही है , यदि कोई  मेरे
                       विचारो से सहमत नही है तो मैं माफ़ी चाहता हु।      :::: नमस्कार :::::
                                                                                     
                                                                                       (  B.S.Sharma )
                                                                          Sanyojak  & Founder member ,
                                                                Akhil Bhartiya , Bhirguvanshi ,Brahman,
                                                                          Maha sabha , Delhi...











                                                                        

Thursday, July 23, 2015

उत्तरप्रदेश में ब्राह्मणो की उप-जाती (जोशी )


                                               उत्तरप्रदेश  में  ब्राह्मणो  की उप-जाती  (जोशी )
                           उत्तरप्रदेश में ब्राह्मणो में पाई जाने वाली ( जोशी) उप-जाति  है।  इस जाती को
       उत्तरप्रदेश में  भड्डरी ,भटटरी , और  ज्योतिषी के नाम से भी जाना जाता है।  (जोशी) उप-जाती
      उत्तरप्रदेश के कई  जिले में पाई जाती है , जैसे ,हरदोई ,सीतापुर ,लखनऊ ,एताह , और मैनपुरी  .
      वे  सात  ग्रुप्स में बटे हुए बताये जाते है।   जिनके अलग अलग नाम इस प्रकार है।  चौबे , गोरा -वंश
      करिया -वंश ,पन्चरोलीहा ,सिलौटिया वंश , और सुनारहा।   उनके गोत्र इस प्रकार है।  भरद्वाज,
     ढकारी ,कश्यप।  ………
                           नोट ::- कई  जगह  दूसरे  राज्यों में  भड्डरी ,भटटरी  और  ज्योतिषी  को  डक  ऋषि
     भरगुवांसज  बताये जाते है।  इनके बारे में किसी ( Author) अथवा  सज्जन  के पास कोई अधिक
    जानकारी है तो किरपया  बताने का कस्ट  करे।   ……। 
       
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Tuesday, July 21, 2015

भरगुवंशी ( वट्स -ऑप ) जन सेवा

                                        भरगुवंशी ( वट्स -ऑप ) जन सेवा
                 
                                 भरगुवंशी  बंधुवर। . :::     प्राय  देखा जा रहा है की कुछ लोग (वट्स -ऑप -समूह )
           बनाकर सामाजिक सेवा में प्रयत्नशील  है , बहुत अछी  बात है , यह वक़्त का तकाजा भी है ,इस
            पर  आपके  सम्मुख अपने विचार रखने जा रहा हु जो इस प्रकार है। जिस पर गोर की जाये तो
           बेहतर होगा।
          १- सभी ( Group Admn)  से अनुरोध करना चाहुगा की वट्स -ऑप  चर्चा के विषय ( निर्धारित) करे
               तो बेहतर होगा , क्योकि हर मेंबर  अपनी सोच का मालिक होता है. .
          २-  यदि  (ग्रुप -मेमबर ) विषयो से भटकता है  तो ग्रुप -एडमिन  उस विषय पर चर्चा को आगे बढ़ने
                से रोके  . … प्रत्येक  समूह के मेंबर की ( ड्यूटी ) बनती  है की वे सब( ग्रुप -एडमिन)दवरा बनाये
                गए  नियम  एवं सरकार दवरा  बनाये गए नियमो का पालन करते हुए एक अच्छे नागरिक
               होने  की भूमिका निभाए  . ....
          ३. - कुछ लोग समूह को छोड़ जाते है , नए लोगो का आगमन हो जाता है , (१००) लोगो के  समूह
                 में  केवल  (१५-२० ) अधिकतम सीमा , भाग लेते देखे गए है ,ऐसा क्यों ,यह भी एक विचारणीय
                विषय है, मेरा मानना  है की  ग्रुप - एडमिन  एवं समूह मेंबर भी  नियमो का ख्याल रखते हुए
                चर्चा करे तो बेहतर  होगा।
         ४.  नोट  :- मेरा उदेश्य   किसी  की भावना  को ठेश  पहुचाना  नही है ,ना  ही किसी किस्म का
                         कटाक्ष करना है , उसके उपरांत भी यदि कोई भाई ऐसा समझे तो मैं  माफ़ी चाहता हु.
                                                                                    (  B.S.Sharma )
                                                                                         Delhi
                                                                                     Mob. 9810710034.

           

Sunday, July 19, 2015

( भरगुवंशीय डकोत -जोशी ब्राह्मण समाज उत्थान की ओऱ अग्रसर )

                                         ( भरगुवंशीय  डकोत -जोशी  ब्राह्मण  समाज उत्थान  की ओऱ  अग्रसर )
              
                      बंधुवर  :: 
                                       आजादी के  लगभग  ७०  साल बाद  भी यह महसूस किया जा रहा है की  हमारे 
समाज का स्तर  इतना अच्छा  नही रहा , जितनी की हम लोग अपेक्षा रखते है ,यदि दूसरे समाजो की कार्य 
एवं उत्थान की और  नजर दौड़ाये तो हमारा स्तर निम्न मिलेगा , इसका अर्थ है की हमारे सभी लोग जागरूक 
या प्रयत्नशील नही।  क्योकि देखा गया है की कुछ प्रांतो के गावों  में अभी भी हमारे लोगो की दशा दयनीय है। 
यह एक भाग्य विडंबना ही  कहा  जा सकता है ,या सामाजिक कार्य कर्ताओ का  उधर ध्यान नही गया, अभी 
केवल  शर्ो  की और  ही ध्यान दिया जा रहा है. . 
                                      भाइयो ; हम लोग केवल  दम  भरने का दावा  कर सकते है, करते है ,समाज में 
कार्य करने वाले कुछ लोग ही होते है,और वो लोग अपनी ड्यूटी व् कार्य के प्रति प्रयत्नशील है , तभी तो आज 
हम लोग  यहां विराजमान है।  यदि नजर दौड़ाई जाये तो (SBM> CLUB) ने पिछले चंद सालो में अपने कार्यो में (खेल-भावना) को  जगाकर  समाज में जिस ( Achievement ) को  हासिल किया है , वो राजस्थान  प्रान्त के लिए एक अनूठा उदाहरण है।  अत:  (  SBM.Club |) avm  उससे जुड़े  सहयोगी , संस्थाओ , सभाओ के पदाधिकारी ,सदस्य गण  सभी बधाई के पात्र है , इस कार्य से दूसरे प्रांतो की संस्थाओ को भी प्रेरणा मिलती 
है , लेनी चाहिए। 
                                   बंधुओ , हम लोगो में अखिल भारतीय स्तर पर भी एवं प्रांतीय स्तर पर भी एकजुटता 
का अभाव  नजर आता है , पद एवं नाम  के चक्र में  एकजुटता उतनी ही मुस्किल है , जितना की किसी मछली की  आँख में तीर मारना ,फिर भी समय के बदलते परिवेश में यह भी जरूरी बनता है की विरोधी सक्रिय रहे ,
बिना विरोधी के काम की  रफ़्तार धीमी रहती है , मेरा ऐसा मानना है , इसका मैंने (expriment) bhi  करके देखा  है. वर्तमान में  राजस्थान, दिल्ली , मध्यप्रदेश , ितयादि  की संस्थाए समाज उथान  के लिए काफी उत्सुक एवं  प्रयत्नशील  है , इन राज्यों की संस्था ,सभाओ ने  कुछ ( achievement ) bhi  हासिल किये है  जो  काबले  तारीफ है।  
                                राजस्थान एवं मध्यप्रदेश में जो सामूहिक विवाह सम्मेलन के आयोजन होते है, वो 
समाज ही से जुड़े हैं  इसमें कोई दो राय नही होनी चाहिए, अच्छा  कार्य है ,सभी कार्य  कर्ता ,सभाए ,संस्थाए 
समाज हित  में प्रयत्नशील है ,  सभी  लोग  बधाई  के पात्र  है , इसके अतिरिक्त  राजस्थान में जिला स्तर 
पर सभाए/संस्थाए बनाने का अभियान जो चल रहा है , निसंदेह  काबले  तारीफ  है , जिसे मैं  एकजुटता के 
रूप में देखता हु , काफी अच्छा प्रयास  है।  
                                 मध्प्रदेश  से  श्री विनोद जी ने  महिला सस्क्तिकर्ण  के नाम से (whatsup)  पर  एक  
महिला संगठन बनाने का कार्य चालू  किया है , बहुत अच्छा विषय चुना है ,क्योकि समाज में महिलाओ को 
जागरूक करना  नितांत आवशयक  है , विनोद जी के कार्य को मूर्त रूप देने के लिए सभी को आगे आना चाहिए 
इसके अतिरिक्त समाज के बुद्धिजीवी वर्ग, सामाजिक संस्थाओ से अपील करना चाहुगा की वो लोग संथाओ\सभाओ  में भी महिलाओ की भागीदारी बढाने  के लिए  आगे आये , और रूढ़िवादी परम्पराओ को खत्म करते 
हुए  कुछ  पद   महिलाओ को देकर उनका होसला बढ़ाये  , और समाज में एक नई परम्परा  को जन्म देने की 
हिम्मत दिखाए 
                               अंत में  यहाँ  कई  प्रांतो के लोग ( सक्रिय कार्य कर्ता ) विराजमान  है , उन सभी छोटे ,बड़ो से  मेरा नम्र निवेदन  के साथ  सुझाव  है की  किसी भी  प्रान्त में  , सभी प्रांतो के लोग मिलकर एक (भरगुवंशी शोध संस्थान ) का गठन कर डाले , जो समाज के विषय पर एवं समाज में  चल रही फैली कुर्तियों के बारे में 
शोध करे ताकि भरगुवंशी  समाज का इतिहास नए  पन्नो पर लिखा जा सके।  
नोट :-- मैंने समाज के विषय में  ( हम  क्या थे , कोण थे , पूर्वजो  के विषय में ) अपनेकुछ  कुछ विचार ,
( Facebook avm Google )  पर डाले  है , जिन्हे आप  निम्न  ( websight ) pr dekh skte hai.।  भरगुवंशी 
डकोत  ब्राह्मण  वंशावली नाम से भी आप देख सकते है. . ::::
               website .... Bhirguvanshibss.com .........2. Bhirguvanshiblog.com......3. Meri Kavitaye ..
  4. B.S.Sharma .......

                            note ::: समाज के विषय में मैं  कुछ  (मटेरियल ) लेख  लिखने की कोशिश  में जुटा हुआ  हु 
 आपके  सहयोग  की जरूरत है , अत: सभी बुद्धिजीवी वर्ग या (सभी छोटे बड़े ) जो समाज के विषय में कुछ भी 
जानते है , ज्ञान रखते है , कृपया मेरे से शेयर करे , ताकि आपके सहयोग से समाज के विषय में कुछ लिख  सकू , मेरा प्रयत्न  जारी है, आपका सहयोग जरूरी है, मुझे आप जोभी जानते है समाज के विषय में चाहे किवदंतियां    ही  क्यों  न  हो  मुझे मेरे  (Address )  पर भेजने की कृपा करे, शायद आपके द्वारा भेजा हुआ  मेरे शोध का 
कुछ हिस्सा बन सके।  
                                नमस्कार  ::::: 
                                                                                                      (  B.S.Sharma )
                                                                                                              Delhi.
                                                                                                          9810710034



                                      
     


Wednesday, July 15, 2015

" भटनागर का उद्गम एवं प्रमुख गोत्र " डाकोत :

                   "    भटनागर  का उद्गम एवं प्रमुख गोत्र  "  डाकोत  :
                                ब्रह्मा जी द्वारा सृस्टि की रचना होने के बाद , समय के साथ  भटनागर परिवार के
वंसज  अपने कारोबार एवं जीविका-उपार्जन  हेतु दूर दराज़ के छेत्रो में जाकर बस गए थे।  लम्बे समय तक
उन स्थानो में रहने के कारण  उनके नाम के साथ  उस स्थान का नाम गोत्र  या अल के रूप में जुड़ गया ,जैसे
नागोरी , जालोरी , डाकोत , आदि।  इसी प्रकार कुछ परिवारो  द्वारा  लम्बे समय तक शाशन व्यवस्था में
कार्य विशेष से  जुड़े रहने के कारण  उन्हें गोत्र के अतिरिक्त उपनामों से भी जाना जाने लगा , जैसे
 भंडारी ,बक्शी , आदि ,आदि. :::::::::::
                                             भटनागर परिवारो में कुछ प्रचलित गोत्र इस प्रकार पाये जाते है।

                      चांडावत , जालोरी ,बुंदेला ,  खेराडा , डाकोत  , बंसल , कलावत  इत्यादि , इत्यादि।


                        :::::::::                               :::::::::::::::                            """"""::::::::::::::::::::::

      नोट :-   भरगुवांशी  ( डाकोत ब्राह्मण ) समाज  कृपा करके  इस पर चिंतन - मंथन करते हुए
                  अपने विचार रखे की क्या  भटनागर समाज भी  डाकोत ब्राह्मणो का अंग है ,क्योकि
                   इस  समाज में उपरोक्त के अनुसार , डाकोत  सब्द एवं  गोत्र डाकोत  पाया गया है

                                                                                     ( B.S. Sharma )
                                                                                             Delhi.        

Wednesday, July 8, 2015

" भरगुवंशी डाकोत ब्राह्मणो के सूचनार्थ हेतु. "

                                        " भरगुवंशी  डाकोत ब्राह्मणो के सूचनार्थ हेतु. "
                                        सभी समाज के व्यक्तियों को  सूचित करना चाहता हु की :डाकोत
                         एवं  जोशी  जाति  " ह्रदयालसिंघ  ( census report ) १८९१- vol.II. jati  (मारवाड़ )
                         जोधपुर -1894, के अनुसार इस प्रकार अंकित की गई है. ::::
                         कर्मांक  संख्या                जाती नाम                   स्टेटस.
                                (३४)                         डाकोत                 ( Class - B  )    
                                (३५)                          जोशी                    (Professional )        
                                                                            ( B.S.Sharma )
                                                                                       Delhi.
                                                                                   












Monday, July 6, 2015

( महर्षि भर्गु के पूत ( च्यवन की सन्तान भार्गव }

                              ( महर्षि भर्गु  के पूत ( च्यवन  की सन्तान  भार्गव }
                             भार्गव भारतवर्ष में रहने वाले लोगो की एक (Community) है , जो भार्गव नाम 
                से जानी जाती है।  इनका निकास  हरयाणा , राजश्थान , सीमा पर बनी डोसी हिल का बताया 
                 जाता  है।   वास्तव इन्हे ढूसर नाम से जाना जाता है।  
                (हिस्ट्री ) ::::::: कालान्तर में इन्हे ढूसर कहा जाता था,इनकी ( ट्रेडिंग ) जाती  ( बनिया ,एवं 
                वैस्य ) बताया जाता है।  ( 19th Century) में इनका उदय संस्कृत जानने वाले ब्राह्मणो के 
                रूप में हुआ  : तभी से इनहे भार्गव कहा जा रहा है।  इसके कुछ अंकित प्रमाण शक्रारी माता 
                मंदिर ( जिला  शिकर ) सीकर   में उपलब्ध बताये गए है. जिस पर 642 AD avm 879 AD)
                अंकित है।  उस समय उनका व्यवसाय ( ट्रेडिंग)  बताया गया है। 
                              ( भार्गव  लोग ) अपने आपको महर्षि भरगु जी के पुत्र  (च्वयन ऋषि ) की संतान 
                 कहते है। ढोसी हिल पर बनाया गया च्वयन ऋषि के नाम से मंदिर  भार्गवों द्वारा  १८९० में 
                 दोबारा बनाया गया है।  कहा  जाता  है की भार्गव सभा जयपुर की स्थापना १८८१ में की
                 गई थी।  तथा  भार्गव पत्रिका का प्रकाशन सन १९०० में अजमेर से शुरू किया गया था। 
                 यह भी मालूम हुआ है की भार्गव सभा का १००व अधिवबेशन  १९८९ में ,२४,२५,२६ दिसम्बर 
                 को  जयपुर में किया गया था।  कुछ भृगुवंशी ज्योत्षी ब्राह्मण ( डकोत  ब्राह्मण ) भी अपने 
                 नाम के साथ भार्गव शब्द का प्रयोग करते है ,क्योकि वे अपने आपको  महर्षि भरगु के पुत्र 
                 कवि ( शुक्राचार्य ) के वंसज कहते है , तथा शुक्राचार्य  जी को भी भार्गव नाम से जाना जाता 
                 है , वास्तव में भार्गव  शुक्राचार्य जी को ही  कहा  जाता है।  हर ( writer ) ka  अपनी कल्पना , 
                अपना  मत होता है।  
                               

Sunday, July 5, 2015

"भरगुवंशी डकोत -ब्राह्मण "


                                               "भरगुवंशी  डकोत -ब्राह्मण "
                             अभी कुछ दिनों से देखा जा रहा है की " wtsup " पर जाती के नाम बदलने पर 
        काफी चर्चा  चल  रही  है  , बहुत अच्छी बात है ,समाज में जाग्रति व् उत्थान  का उद्वेग समय समय 
        पर होना बहुत ही जरूरी है , समय के बदलते परिवेश में होना भी चाहिए। 
        श्री  राजेन्दर जी ने बताया है की हरयाणा में डकोत  जाती का नाम " ज्योतिष ब्राह्मण " बनने पर 
        सहमति  बन चुकी है , यह सुनकर बहुत ख़ुशी का अहसास हुआ।   जाती का नाम बदलने के विषय 
        में  मैं  अपने विचार  कुछ समाज के लोगो के सामने व्यक्त  करना चाहुंगा। .......  क्या  जाती का 
        नाम  बदलने से  हमारा  समाज  आत्मगिलानी  जो वर्षो से चली आ रही है  "दिमाग " से निकल 
       पायेगी ?  .. . २.  क्या  उच्च  जाती के लोग  सभी प्रांतो में  हमारे साथ घुल मिल जायेगे  ?  ३. क्या 
       अनेक  प्रांतो के गांवो  में  हमारी जाति  के लोगो को  " शनिस्चरा "  डाकोटरा , शनि  के नाम से 
      नहीं पुकारे  जायेगे  ?  यदि ऐसा   नही  होता  है , तो सोने पर सुहागा ,  नही तो  मै  समझता  हु की 
      लोगो में  मानसिकता  के अभाव  में कमी है , यह तो मानना  ही पड़ेगा की शहरो  और गावो में  कई 
      प्रांतो में अब पहले की तरह से रूखापन देखने को नही मिलता।  
       २- -  कई  प्रांतो में तो अभी भी डाकोत को  ज्योतिष  या  ज्योत्षी  कहा   जाता है ,  OBC  (caste 
       Notification )  देख सकते है , मेरे पास  ( available )  है  .  वैसे भिन्न भिन्न प्रांतो में जाति  को 
       तरह तरह के नामों  से भी जाना  जाता है।  मेरे विचार से हमे सभी प्रांतो के लोगो को मिलकर ,एक 
      साथ लेकर  सामूहिक चर्चा करके  एक ( Uniform Policy )  बनाने पर विचार करना होगा ,  उन 
      विचारो  में यह भी निर्णय लेना होगा  , मुख्य  प्रश्न  यह  है  की , जब हमारा समाज ( महर्षि भर्गु  ऋषि )
      की  संतान  है तो  हमे ( Degrade Brahmn )  क्यों कहा  जाता है।  वैसे  इस प्रकार के सामूहिक मसले 
      सामूहिक  चर्चाये  करके  फ़ाइनल किये जाये तो बेहतर  परिणाम मिल सकता है , क्योकि ऐसे 
       मसले  सभी प्रांतो से लिंक होते है. .......  
       ३ ::::: यदि पूर्णत: इस  पर देखा जाये तो भारतवर्ष में  वर्तमान में लगभग  15o  किस्म के ब्राह्मणो 
        की  लिस्ट  एवं  १७३९५   सरनेम  की लिस्ट ( available )  संग्रहित   है।
                                                                                                    (B.S.Sharma )
                                                                                                          Delhi.  
                     

Friday, July 3, 2015

                                          भृगुवंशी  डकोत -ज्योत्षी ब्राह्मण  शोध -संस्थान                  
                         भृगुवंशी बंधुवर :::::::जैसा की समाज उथान की रुपरेखा बनाने में सभी लोग  उत्साह
         दिखा  रहे है , हर काम में प्रयत्नशील है ,इसे देखकर मेरे  मन में प्रश्न उभरा की क्यों न हम
         सभी मिलकर समाज में ,समाज के उथान के लिए ,दूसरे समाजो की भांति  एक शोध -संस्थान
        समिति गठित कर दे। सभी लोग समाज के इतिहास के बारे में जानने के इच्छुक है'::::
                         मेरा समाज  की  सभी  ( प्रदेश की संस्थाए -सभाए ,समितिया )  के पदाधिकारियों से निवेदन           है की   वर्तमान परिवेश में  हमे समाज के इतिहास  के बारे में युवा -वर्ग  जो समाज के इतिहास से
        अनभिग है , उन्हें ज्ञान होना जरूरी है  ; क्योकि जिस आत्मगिलानी से हमारा समाज जूझ रहा है ,
        उससे पर्दा हटाया जा सके ,मेरा मानना है की जो किवदंतियां किताबो में की हुई है ,उसका कोई ठोश
       (पौराणिक ) प्रमाण  नही है ,यह मुझे पूर्ण विश्वाश है ,जो शोध के उपरांत सभी प्रकार के तथ्य सामने
       आ सकते है, आ जायेगे।  शोध के बाद वो( रिपोर्ट संग्रहित किताब) में  सरकार को भेजी जाएगी।  
                        आइये , हम सब मिलकर , एकजुट होकर आगे बढे , समय आपका इंतजार कर रहा है।
                                                                                         (B.S.Sharma )                
                                                                                              Delhi. 

Dakot---Dakaut------ (DAK.Putra+)

                                  Dakot---Dakaut------ (DAK.Putra+)
                       The word Dakota (Dakot) is derived from DAKPUTRA which means the children
           of DAK Rishi process of derivation is DAKPUTRA, DAKPUTTA,DAKAUTA,=Puta
          is the derivate from the PUTRA in RAjasthan which means "issues" . The Dakot are
          nowhere found out of the Rajasthan and are the original inhabitants of this land . This goes to
         corborate the popular belief that DAKA (Dak Rishi) lived in Rajasthan.
             Note. .... There is some other variations also found in some books,....... I think that this
                            is the function,variation of DAKOT caste..........
                                                                                                           B.S.Sharma
                                                                                                               Delhi.