" भटनागर का उद्गम एवं प्रमुख गोत्र " डाकोत :
ब्रह्मा जी द्वारा सृस्टि की रचना होने के बाद , समय के साथ भटनागर परिवार के
वंसज अपने कारोबार एवं जीविका-उपार्जन हेतु दूर दराज़ के छेत्रो में जाकर बस गए थे। लम्बे समय तक
उन स्थानो में रहने के कारण उनके नाम के साथ उस स्थान का नाम गोत्र या अल के रूप में जुड़ गया ,जैसे
नागोरी , जालोरी , डाकोत , आदि। इसी प्रकार कुछ परिवारो द्वारा लम्बे समय तक शाशन व्यवस्था में
कार्य विशेष से जुड़े रहने के कारण उन्हें गोत्र के अतिरिक्त उपनामों से भी जाना जाने लगा , जैसे
भंडारी ,बक्शी , आदि ,आदि. :::::::::::
भटनागर परिवारो में कुछ प्रचलित गोत्र इस प्रकार पाये जाते है।
चांडावत , जालोरी ,बुंदेला , खेराडा , डाकोत , बंसल , कलावत इत्यादि , इत्यादि।
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नोट :- भरगुवांशी ( डाकोत ब्राह्मण ) समाज कृपा करके इस पर चिंतन - मंथन करते हुए
अपने विचार रखे की क्या भटनागर समाज भी डाकोत ब्राह्मणो का अंग है ,क्योकि
इस समाज में उपरोक्त के अनुसार , डाकोत सब्द एवं गोत्र डाकोत पाया गया है
( B.S. Sharma )
Delhi.
ब्रह्मा जी द्वारा सृस्टि की रचना होने के बाद , समय के साथ भटनागर परिवार के
वंसज अपने कारोबार एवं जीविका-उपार्जन हेतु दूर दराज़ के छेत्रो में जाकर बस गए थे। लम्बे समय तक
उन स्थानो में रहने के कारण उनके नाम के साथ उस स्थान का नाम गोत्र या अल के रूप में जुड़ गया ,जैसे
नागोरी , जालोरी , डाकोत , आदि। इसी प्रकार कुछ परिवारो द्वारा लम्बे समय तक शाशन व्यवस्था में
कार्य विशेष से जुड़े रहने के कारण उन्हें गोत्र के अतिरिक्त उपनामों से भी जाना जाने लगा , जैसे
भंडारी ,बक्शी , आदि ,आदि. :::::::::::
भटनागर परिवारो में कुछ प्रचलित गोत्र इस प्रकार पाये जाते है।
चांडावत , जालोरी ,बुंदेला , खेराडा , डाकोत , बंसल , कलावत इत्यादि , इत्यादि।
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नोट :- भरगुवांशी ( डाकोत ब्राह्मण ) समाज कृपा करके इस पर चिंतन - मंथन करते हुए
अपने विचार रखे की क्या भटनागर समाज भी डाकोत ब्राह्मणो का अंग है ,क्योकि
इस समाज में उपरोक्त के अनुसार , डाकोत सब्द एवं गोत्र डाकोत पाया गया है
( B.S. Sharma )
Delhi.
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