ब्राह्मण समुदाय के (टाइगर) डाकोत ब्राह्मण
शनि देव महाराज एक कड़क गृह के रूप में जाने जाते है, इनकी दृस्टि राजा हो या रंक सभी पर पड़ती है इन्हे न्यायप्रिय राजा के रूप में जाना जाता है। इनकी द्रस्टी एक बार श्री राम चन्दर जी के पिता
राजा दशरथ पर पड़ी, तो उन्होंने राजा को चेतावनी दे डाली की महाराज आपके राज अयोध्या में भारी वर्षा से तबाही आने वाली है। इस पर राजा दशरथ बहुत चिंतित हुए'राज दरबार के पंडितो से सलाह मसबरा किया ,परिणामत: महाराज ने पंडितो को बुलाकर नव ग्रहो की पूजा,प्रार्थना कि. और दान दक्षिणा ब्राह्मणो को देनी चाही जिससे शनि महाराज का प्रकोप कम हो. , परन्तु उपस्थित ब्राह्मणो में से उस दान को लेने के लिए कोई भी ब्राह्मण तैयार नही हुए। महारज दशरथ बड़े चिंतित मुद्रा में हो गए और उन्हें एक उपाय सुझा। महाराज
दशरथ ने अपने शरीर की dirt से एक ब्राह्मण की उत्पति की जिसे " डक ऋषि " के नाम से जाना गया। वह दान डक ऋषि द्वारा ग्रहण किया गया। महाराज दशरथ ने भविष्य के लिए यह उपाय भी कर दिया की ड़क ऋषि को जो भी संतान होगी उन्हें डाकोत कहा जायेगा तथा भविष्य में यह जाती शनि दान ग्रहण करेगी।
उन्होंने यह आशीर्वाद भी दिया की भविष्य में इन्हे ज्योतिषी के नाम से विख्यात होगे और इनके मुख से जो भी वाणी निकलेगी वह सत्य होगी तथा सभी वर्ग जाती विशेष के लोग इन्ही से सलाह मसब्रा लेंगे। इस पर
दूसरे ब्राह्मणो को एतराज हुआ , और महाराज से प्रार्थना की की महाराज , दूसरे वर्ग , समुदाय के ब्राह्मण
भी आपके राज्य में रहते है आपकी प्रजा है , हमसे भूल हुई है तब महारज दशरथ ने कहा की उनका दिया हुआ आशीर्वाद वापिस तो नही हो सकता , परन्तु इतना है की जाओ , शादी एवं नामकरण जैसे उत्शवो पर
लोग आपसे सलाह मसब्रा करेंगे।
डक ऋषि एवं उनकी संतान ने यह साबित कर दिया की " डाकोत जाति " अपनी प्रजा और
राजा के प्रति कितनी वफादार है , उन्होंने कोई परवाह न करते हुए दान लेकर शनि देव की क्रूर द्र्स्टी से प्रजा को बचाया , राजा का विपत्ति में साथ दिया , इस प्रकार ब्राह्मण समुदाय में निर्भीकता का परिचय देते हुए
राजा दशरथ की नजरो में " ब्राह्मण समुदाय के ( टाइगर ) डाकोत ब्राह्मण के रूप में उभर कर सामने आये।
यदि धार्मिक मान्यता के रूप में देखा जाये तो महाराज दसरथ और उनके बेटे राजा
राम चन्दर जी का भी आशीर्वाद रहा है , क्योकि महाराज की विपत्ति के दिनों में अपने सुख दुःख की
परवाह न करते हुए शनि दान ग्रहण किया , राजा एवं उनकी प्रजा को शनि प्रकोप से मुक्ति दिलाई और
भविष्य के लिए भी दानदाता का भला ही करने का आशीर्वाद लिया।
इस चर्चा से यह आभाष मिलता है की " डाकोत ब्राह्मण " की उतप्ती राजा दसरथ द्वारा
डक ऋषि के रूप में हुई , डाक ऋषि की जो संतान हुई उन्हें डाकोत ब्राह्मण के नाम से जाना जाता है।
ये लोग अयोध्या के पास " अगरोहा " से भारत के दक्षिण में इनका आगमन हुआ। :::::::::::::
( B.S.Sharma )
Delhi.