Thursday, May 8, 2014

Bhirguvanshi. (Dakot Brahman)

      Bhirguvanshi                (Dakot Brahman)                                         (B.S.Sharma)9810710034
                                                                                       (Sanyojak)Akhil Bhartiya Bhirguvanshi.,Brahman
                                                                                            Mahasabha(Najafgarh) Delhi.
      बंधुओ ,
                                        डकोत ब्राहमण  भरगुवंशज  कहे जाते है। महर्षि भरगुजी के पुत्र शुक्राचार्य हुए ,उनके पुत्र शंड ऋषि हुए, शँकराचार्य के  महऋषि शांडिल्य ,जिनके डामराचार्य (डक ऋषि ) जिन्होंने (डामर संहिता ग्रन्थ ) की रचना की ,डकोत ब्राह्मण  जिन्हे शनिदेव उपासक   कहा जाता है ,डक  ऋषि कि सँतान कह्ते है /कहा जाता है।  
                                        डाकोत शब्द को अशुद्ध मानतें हुए ,इसे :डकोत ' कहना चाहुगा ,जो डक ऋषि का (बोध) कराता है तथा 'डकोत शब्द को निम्न तरह से विभक्त करना चाहूंगा। 
 (ड )      ( डक ) अर्थात  यह शब्द डक ऋषि का बोध कराता  है। 
(को )     (कोरा कागज).... कोरा कागज से मेरा तातपर्य  उन सभी (डकोत ब्राह्मणोँ )(भरगुवंशियो ) से है जिन्होने ज्योतिष का ज्ञान नहीं लिया अर्थात वे भरगुवंशी जिन्होने ज्योतिश विद्या ग्रहण नहीं की ,क्योकि महर्षि भर्गु जी द्धारा रचित (भृगु  संहिता )ब्राह्मणो,डकोत ब्राहमणो ,भरगुवंशियो के लिए आजिवका का 'रामबाण ' कहना चाहूंगा। जिन्होंने ज्योतिष ज्ञान प्राप्त नहीं   किया ,वे सभी ब्राह्मण होते हुये कोरा कागज कि संगा   में गिने जाने चाहिए ,वो डकोत ब्राह्मण जिन्हे ज्योतिश विद्या का कम ज्ञान है , वो लोग शनिदान गृहण करते है 
                                    वर्तमान युग मे आप देख रहे है की डकोत ब्राहम्णों के बच्चोँ ने अपने क़ारोबार तथा सरकारी नौकरियों मे भी अपनी जगह बनाई है ,उन्हे (कुछ बच्चों) में डकोत शब्द से(जिन्हे शनि का दान)लेने वाला कहा जाता है ,कुछ आत्म गिलानी सी होती है ,इसलिये वे अपने नाम के साथ भार्गव,शर्मा ,जोषी ,इत्यादि लगाते है ,,महर्षि भर्गु ने ब्राहमणों को (भृगुसंहिता )नामक जो ग्रन्थ दिया,जिसने भी ज्योतिष विद्या गृहण की  वह कभी भूखा ,गरीब नहीं  रह सकता। अतः सवाभाविक माना जाएगा  कि जो ब्राह्मण (डकोत ब्रह्मण)
 भरगुवंशी ब्राह्मण ज्योतिष विद्या का ज्ञान नहीं रखता ,वह शनि का दान लेता है। 
(त )    (तख़्त )          'त ' शब्द से मेरा  तात्प्रिय तख़्त से है। कियोंकि डकोत ब्राह्मण (वर्ग) में कोई व्यक्ति ऐसा नही हो पाया जिसे कहा जाये की उसने किसी फील्ड में महारथ हाशिल कि हो,,यह आत्मगिलानी कहा  जाएं तो अतिशयोक्ति नहि होगी। आने वाले युग में(डकोत ब्राह्माणों  कि जनसख्या में कमी नजर आएगी ,और एक समय ऐसा भी  आ सकता हैं कि इनकी जनसंख्या शून्यं के बराबर हो जाए ,ऐसा मेरा  अनुमान है ,ऐसा देखा गया  है कि  बहुत कम लोग है जो अपनी (identification)डकोत ब्राहमण बताने में संकोच नहीं  करते ,अधिकतर लोग शर्मा ,भार्गव,जोशी इत्यादि से सम्बोधित करते है। यदि देखा जाए ,गौर किया जाए तो वर्तमान पीढ़ी के (डकोत ब्राहम्णो ) के बच्चो का धयान उधर जाता ही नहीं कि वो कौन है कौन से ब्राह्मण है ,यहा तक की कुछ बच्चों को यह भी नही मालुम की (डकोत ब्राहमण ) क्या है ,,वे किसके वंसज है।  यदि डाकोत ब्राह्मणों के बच्चों की (progress) के बारे मेँ गोरकिया जाए तो कुछ परिवारों के बच्चों ने  कॉफी सफलता प्राप्त कि है ,कुछ बच्चे अपनी शादियां भी अपनी पसन्द से करने लगे है ,जहा  तक (status)का सवाल है काफी बदलाव नज़र आने लगा हैं। प्राय  यह भी देखा गया है की (डकोत ब्राह्मणोँ )के बच्चो के सम्बन्ध भी दूसरे वर्गो में भी  होने लगे हैं अर्थात दूसरे वर्ग के लोग भी सम्बन्ध बनाने मे कोई  हिचकिचाहट महसूस नही 
 करते इसका मतलब बच्चों की क़ाबलियत सम्झा जाएं या वक्त का बदलता परिवेश ,.  
(नोट) :-           वैसे देखा जायेतो  आजकल शहरोँ में ,चोराहों पर,गाँवोँ में शनिवार के दिन शनि दान लेने वाले काफी ंदेखने को मिलेगें ,क्या कभी हमनें आपने सोचा है की वे सभी डकोत ब्रह्मण हें। आजकल दूसरे जाति के लोग भी शनि मंदिरों में ,चौराहों पर शनि दान ग्रहण करतें नजर आएंगे ,शनिदान लेने वाले सभी डाकोत ब्राह्मण नहीं। सरकार का धयान इस ओर कभी गया हि नही ,क्योंकी इनको ( represent) करने वाला कोई मिला      हीं नहीं जो इनकी समश्या  सरकार तक पहुँचा सके.. ..                  
                           
                                    

                                                    

                                                                                                                                                            

3 comments:

  1. Hum kisi se nahi darte kisi ke sath ki jarurat nahi hai humko aur har kisi ke saath hain hum dialogue nahi hai ye koi hum sharifi ki zindagi jeete hain vese sidha milva hi denge bhagwaan se aur humare jesa toh dhundhne par bhi mil jaye toh btana khud jeena chord denge

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