केवल उसी और ",
जिंदगी एक कड़वाहट और विषैला जहर है,
जो कभी खिली खिली तो कभी मुरझाई सी लगती है,
जिंदगी एक पाठशाला और मंदिर भी है ',
जहां मनुष्य बनता और बिगड़ता भी है !
जिंदगी एक शराब से भरी बोतल भी है ,
जिसमे गम और ख़ुशी का नशा बेशुमार है ,
शनै ,शनै ,पिने वाला लुत्फ़ लेकर जीता है,
एकदम पीनेवाला मुरझाया सा लगता है,
बात जरा सी है केवल अंतर पीना का है,
पगडंडी सभी के लिए एक ही बनी है,
जिसका रास्ता उसी ओर जाता है है,
केवल उसी और !
{बी.एस.शर्मा } ९८१०७१००३४
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