Monday, April 6, 2015

Bharguvanshi (DAKOT BRahman) Bhargu bhawan,Dharamshala avm Mandir,,10-11,jemini Park,Nangli sakrawati Najafgarh ,ka ITIHASH.

भरगु भवन ,'मंदिर,एवं धर्मशाला ,१०-११  जेमिनी पार्क ,नगली सकरावती (नियर दर्शन दरबार) नजफगढ़, दिल्ली  / का (इतिहासः ):::::::::::::::
                     भरगुवंशी (डकोत  ब्राह्मणो) के समाज  के प्रमुख  व्यक्तियों  की एक मीटिंग ,साध नगर पालम  कॉलोनी  श्री  श्री प्रकाश जी के निवाश  स्थान पर  ३१ दिसंबर,१९९३ को रखी गई ,जिस पर समाज के उथान के विषय में चर्चा करते हुए भावी कार्यक्रमों की रुपरेखा बनाकर सर्वसमति  से  भरगुवंशी ब्राह्मण महासभा (अखिल भारतीय ) स्तर पर  प्रारूप तैयार करके निम्नलिखित व्यक्तियों को कार्य करने के लिए आग्रह किया गया ।
           .                1. संयोजक ::::::श्री  बनीसिंह  शर्मा
                            २.  सह। संयोजक : श्री रामसिंह।
                            ३।       -"               श्री  विसम्बर दयाल शर्मा
                             ४।       "               श्री  चंदरमोहन शर्मा    
                            ५. .      "                श्री  रामबाबू शर्मा
                            ६.        "                श्री  बाबू लाल शर्मा  ::::::
                           ७.  कोषाध्क्ष ::::::::::श्री  महावीर प्रसाद  शर्मा
              अखिल भारतीय भरगु वंशीय   ब्राह्मण महासभा के उपरोक्त  कार्यकर्ताओं ने कार्यभार ग्रहण करते हुए सर्व प्रथम भरगुभवन  एवं मंदिर ,धर्मशाला का लक्ष रखते हुए काम करना शुरू कर दिया. । लोगो से घर  घर  घर जाकर दान  के रूप में चंदा इकठा करना चालू किया । परिणाम इतना अछा रहा की चंद महीनों  में  ही ,दिल्ली ,द्वारका के समीप  २०० वर्ग गज का भूखंड महासभा के नाम से खरीद लिया गया ।  जमीन तो खरीद ली गई  परन्तु जब सवाल निर्माण का आया तो कुछ स्वार्थी लोगो ने स्वार्थ के वशीभूत निराधार बातें  बनानी सुरु कर दी । समाज के लोगो ने निराधार बातो का समर्थन तो नही किया ,परन्तु उस प्लाट को इसलिए बेचना पड़ा की वह बस स्टैंड से दूर था,वहां पहुचने के सिमित साधन नहीं मिलते  थे । उसे बेचकर यह प्लाट ३०० वर्ग गज का खरीदा गया जिस   पर  आज भृगुभवन ,मंदिर धर्मशाला विराजमान है. ।
            प्लाट तो खरीद लिया गया,प्रश्न जब   निर्माण का आया तो फण्ड की कमी अखरने लगी,साथ ही कुर्शी का  लालच बढ़ने लगा । चंद लोग राह और लक्ष से भटक कर उलझन में पड़  गए ,जिसके कारण काम की गति धीमी  पड़ती चली गई ।  मेरा अनुभव कहता है की कंगाली में आटा  गिला वाली कहावत ने जन्म ले लिया ।  किसी ने कहा है  की चलते काम में  सभी सरदार बन जाते है ;खराबी आने पर सभी जिम्मेदारी  से बचना चाहते है,काम तो होता नही, करने भी नही देते, एक दूसरे की टांग  खीचने का दौर  चालू हो जाता है ,वैशे  यह स्वाभाविक भी है क्योकि पद की लोलुपता के वशीभूत होकर इन्शान सब कुछ भूल जाता है ,जो की असल और प्रैक्टिकल का अंतर नही समझ पाता ।  होता वहीं  है  जो ईश्वर को मंजूर होता है ,। जिस तेजी से काम शुरू किया गया था उसकी रफ़्तार धीमी पद गई,लक्ष पर पूर्ण विराम लग गया ।
             दिशम्बर,१९९६ में अखिल भारतीय भरगुवंशी  ब्राह्मण महासभा का रजिस्ट्रेशन  क्रमांक संख्या S-30722,of1996,(bhrgubhawan plot no 10-11,jemini park Nangli sakrawati) najafgrh,delhi ka kra diya gya)  सभी कार्यकर्ताओ (योद्धाओ) के धनुष बाण  खुटी पर टंगे हुए नजर आ रहे थे. और महासभा बैसाखी के सहारे  चलने लग पड़ी थी, यहाँ तक नौबत आई की कार्य कारिणी के चुनाव के वक्त कोरम को पूरा करने में भी दिकत आने लगी ,अधिवेशन ,भरगुजयन्ति मनाने की बात तो अलग,एक मौका तो ऐशा आया की भरगु जयंती के अवसर पर केवल दो जर्जर कार्यकर्ता ही देखने को मिले ,अधिवेसन में खाना भी गैरो को बाटा गया ।
             समय गतिशील एवं परिवर्तनशील भी है । महासभा के कुछ कार्यकर्ताओ ने  एक (अधिवेशन) बुलाने का फैसला लिया जो सर्वसमति से लिया गया । अखिल भारतीय भरगुवंशी ब्राह्मण महासभा के तत्वाधान में (3rd october,1998ko Village .Tawru,(Haryana ) में  रखा गया , जिसकी अगुवाई महासभा के (President Sh Bani Singh, General Sercretary, Sh .Naresh Kumar avm Cashier Sh M.P.Sharma |) Tawru द्वारा  की गई | Haryana avm dusri  स्टेट्स से लोग  बसों ,गाड़ियों ,व् टेम्पो द्वारा पहुंचे,काफी संख्या में लोगो ने अधिवेशन में आहुति दी ,{Cashier M.P.Sharma, Tawru niwashiu ) ने अधिवेशन का सारा व्ययभार  वहन किया ,अधिवेसन  दो दिनों  तक चला, खाने,में खीर एवं गुलाबजामुन की भरमार रही,ठहरने  का बहुत अछा इंतजाम था ,परन्तु मंदिर निर्माण के लिए जितनी राशि चाहिए थी उतनी नही हो पाई,कारण ,आपसी तालमेल का आभाव रहा, कुछ लोग अधिवेसन को सफल होना नही देखना चाहते थे, पद की लोलुपता, इंसान को किसी कदर तक ले जा सकती है ।
                धन के  निर्माण कार्य खटाई  में  पड़  गया ।   समय की सुई तो चलती रही। महीने ,साल बीतते रहे ,महासभा कठिनाई के दौर  से गुजरने लगी ,किसी भी प्रश्न का किसी के पास कोई जवाब नहीं था, न ही कोई देने के लिए आगे आने को तय्यार नही था,। परिणामतः कुछ चंद ,स्वार्थ के वशीभूत लोगो ने जमीं की दिशा बदलने का (प्रस्ताव ) पैगाम रख डाला,( 2nd October .2001 ) को कुछ चंद लोगो के सहयोग से जाग्रति सम्मेलन का बिगुल बजा दिया गया ।  काफी संख्या में  दुर्गापुरी चौक (ज्योति कॉलोनी ) दिल्ली  के पास एक धर्मशाला में लोग पहुंच गये.| कार्यवाही चालू की गई, प्रस्ताव आया की प्लाट को बेचकर पश्चिम में प्लाट ले लिया जाये ,हवाओं  ने अंगड़ाइयाँ लेनी चालू कर दी ,प्लाट बेचने का कुछ लोगो का विरोध में स्वर आने लगा,एक व्यक्ति ने तो ईस्ट एवं वेस्ट अलग होने के लिए भी बोल दिया,यह बात कुछ लोगो को अछि नही लगी ,कुछ लोगो ने मान  सम्मान को भी तक पर रख दिया ,इस कारण लोग बिखरने लगे ,तितर बितर होने लगे : कई समझदार भी होते है ,उन्होंने सिथती  को सम्हालने की कोशिस तो की  परन्तु लोग अपने इरादे में कामयाब नही हो पाये ,हाँ सम्मेलन में लोगो की भावनाओ को जो ठेश पहुंची,उसका आंकलन नही किया जा  सकता, यही सोचना पड़ता है की सामाजिक कार्यो में उतार -चढ़ाव ,अचे बुरे लोग  हर  जगह पाये जाते है। समय गुजरता रहा ,चुनावी बिगुल बजते रहे ,मगर हुआ कुछ नहीं ,क्यों ईष्वर को मंजूर नही था ,महासभा का वर्चस्व खतरे में पद गया,सभी कार्यकर्ताओ के तेवर ढीले हो गए,। बुजुर्ग कहते है की समय एक जैसा नही रहता ,अचे व् बुरे दिन आते जाते रहते है ।  
              (सपना साकार होने का मूल मंत्र  कैसे मिला  उसका खुलासा  यहाँ किया गया है )
               (सन  2008 ) में दिल्ली  दरयागंज  थाने  के सामने बने एक मंदिर में (प्रथम मंजिल) जिसमे श्री  विनोद कुमार जी मंदिर के सर्वश्रेष्ठ पुजारी थे ।  भृगुवंशी राजस्थान ब्राह्मण सभा (जिसके प्रधान) श्री ईष्वर  लाल जी थे , सभा के तत्वाधान में समाज के एक स्मारिका का विमोचन किया जाना था, उसमे  श्री (B.S.Sharma ji } को भी जाने का अवसर मिला ।  वहां  पर अछा इंतजाम किया गया था, सारा इंतजाम श्री विनोद जी की ओर से किया गया था,सभी उपस्थित सज्जन  बारी  बारी  से अपने विचार रख रहे थे,प्रोग्राम काफी अच्छा चल रहा था ,सभी के विचार समाज के उथान के विषय में अच्छे  थे,परन्तु  श्री ईश्वर लाल (प्रधान  राजस्थान  भार्गव ब्राह्मण  सभा ) जब  बोलने लगे तो उनके भासन से मेरे अहम को चोट लगी,और मुझे वहां  से आने के लिए मजबूर  होना पड़ा क्यों की उनका इशारा (अखिल भारतीय भरगुवंशी ब्राह्मण महासभा )के कार्यशैली की और था '; मै वहां से उठकर आ गया ,परन्तु उनके दमदार बोल मेरे कानो केप्रदे फाड़ने पर उतारू थे घर पर आने के बाद,पूरा विश्लेषण किया,प्लानिंग की,पूरा चार्ट ,प्रोग्राम का  तैयार करते हुए ,मेरे  सहयोगी रह चुके श्री नरेश कुमार से टेलीफोन द्वारा बातचीत की,काफी समय बातचीत करने के उपरांत अखिल भारतीय भृगुवंशी ब्राह्मण महासभा में नई दोबारा  जान डालने का संकल्प लिया  ।  अगले दिन नरेश कुमार मेरे घर पर आ गए उनको सभी बातें बताई गई और काफी डिस्कसन के उपरांत महासभा में नई जान डालने की मंत्रणा लेकर काम में जुट जाने का फैशला किया गया । महासभा की सेवा के लिए कुछ इस प्रकार मूल मंत्र (BVNSHR) tayar किया ,जिस मंत्र का खुलाशा निम्न तरीके से करना चाहूगा ।
          B-(BRAIN) Brain  ने प्लानिंग तैयार की ,और उसको Implement करने का संकल्प लेते हुए प्लानिंग को  असली जामा  पहनाया जो महासभा में नई जान डालने के लिए  था जिससे महासभा को (Victory) milne
में रामबाण का कार्य करेगी.
        V-(Victory) v.सब्द  विक्ट्री का बोध कराता है ,प्लानिंग के अनुसार काम किया जाये तो जीत निश्चित है
       N-(Nest) ek.ek.तिनके से घोषला बनता है ,एक और एक मिलकर ग्यारह हो जाते है ,सरे तिनके एकजुट होने पर :Victory निश्चित है ,यही प्लानिंग ब्रेन ने तैयार की ।
       (S-( Sipahi)   सुरुआत सिपाही से ,अंत भी सिपाही से ।  दो सिपाही मिलने पर विक्ट्री निश्चित है. । 
       H-( Help ) एक एक तिनके की हेल्प मिलने से विक्ट्री को स्फूर्ति संभव है ।
       R-(Runner) रनर एक ऐसा सब्द है जो न थकता है  न हारता है ,उसका चलना ही काम है ,अतः यह भी विक्ट्री सूचक है
           संस्थाओ में काम करने वाले कुछ लोग ही होते है ,संस्थाओ का आकार ,कार्यकर्ताओ के कामो में छिपा होता है ,उधेरबुन  संस्थाओ में स्वाभाविक है ,काम करने वाले व्यक्ति कभी मरते नहीं ,उसके जिन्दा रहने के प्रमाण मिलते है ,हर व्यक्ति अपने तरीके से काम करता है ,कार्यकर्ता तीन किस्म के होते है ।
१. तू चल मै  आया। । :::: २. मार  मै देख लूँगा ::::::::३. कथनी और करनी में  अंतर (अर्थात) न करे ना करने दे
         अखिल भारतीय भरगुवंषी ब्राह्मण महासभा  ने  १४ साल का बनवाश काटा ,जो ऐसे लोगो के कारण काटा ,लडो करो मरो की प्रवृति समाज के कार्यो में ज्यादा फलित रहती है ,यह कथन अच्छा है ।  चौदह साल बनवाश काटने के बाद महासभा अपने प्रांगण में लोट कर आना (BVNSHR} मंत्र द्वारा नई जान डालने का परिणाम रहा ,जिसने महासभा में नई जान, नई स्फूर्ति डालने का काम किया ।   (2nd October.2008) ko महासभा द्वारा अधिवेशन किया,व् (25th January,2009 ) को भरगु जयंती मनाई गई ।  दोनों कार्यक्रमों में दानदाताओ ने दिल खोल कर दान दिया ,करीब सात लाख की राशि दान में मिली,किसी ने खा है की जिस समाज में लाखो रुपए का दान देने वाले हो उनका सामाजिक कार्य कभी लटक नहीं  सकता ,लाखो रुपए दान देने वाले दानदाता को देख कर दूसरे लोगो का उत्साह भी बढ़ता है ,और वे स्वतः दान देने के लिए आगे आ जाते है ,यह प्राकृतिक नियम है । देखने है की अब आगे कोई लाल श्री बजरंगलाल की तरह महासभा को दान देकर समाज की प्रतिष्ठा बढ़ाने में कोण आगे आता है ।  अखिल भारतीय भरगुवांशी  ब्राह्मण महासभा दिल्ली ,ने भृगु भवन ,मंदिर एवं धर्मशाला दिनांक २० दिसंबर ,२००९  को समाज को समर्पित किया गया,समाज के लोगो के लिए,दानदाताओ के लिए  बहुत खुसी   का दिन है ,सभी को बहुत  बहुत बधाई । कुछ सब्द इस प्रकार है ।

                       हिम्मत का है पौधा रोपा गया,
                       भृगु भवन ,मंदिर , धर्मशाला,समाज को सौपा  गया ;
                       मंदिर की घंटी बजती रहे,
                       कलम कवि की चलती रहे,
                       कार्यकर्ता समाज के सोये नही,
                       निर्माण कार्य रुके नही ,
                       झण्डा ,भृगुवंशियो  का कभी झुके नही  ।  
                                                                                       
                                                                                     (B.S.Sharma )
                                                                             Sanyojak & Founder Mamber,
                                                                       Akhil Bhartiya Bharguvanshi,Brahman Mahasabha
                                                                                                          Delhi.








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