भिक्षावृति - दोषपूर्ण - पद्धती
भिक्षावृति एक गम्भीर विषय बनकर समाज को चुनौती भरा पैगाम देकर उभर रहा है।
रोजी -रोटी का मसला एवं आत्मगिलानी से भरपूर दोनों ही बातें गंभीर विषय है। दोनों ही समाज के लिए
चुनौती है। यह तो मान कर चलना ही होगा की समाज की उन्नति के लिए (Young Generatioin) इसे कभी भी
Accept करने के लिए तैयार नही ,( कुछ Parents मज़बूरी में बच्चो को ऐसा करने के लिए बाध्य करते है ,
ऐसे , इस किस्म के आंकड़े ( खबरे ) भी प्राप्त हुई है। यह तो मान कर चलना ही होगा की यदि भिक्षावृति
समाज से खत्म नही होगी तो आत्मगिलानी भी खत्म नही हो सकती ,इसे श्राप कहो या अभिशाप ;
यह मेरा निजी मत है।
वर्तमान में समाज चार वर्गो में विभाजित हो चूका है , जिसके परिणाम कुछ मिलने
चालू हो गए है , बाकि एक दसक के बाद आपको नजर आने लगेंगे। चार वर्ग इस प्रकार है :-
१. वे लोग जो ( भिक्षावृति Door to Door ) गाव , गली , चौराहो पर करते है।
इस वर्ग के लोगो के बारे में दो पहलुओ पर विचार करना जरुरी है
(अ ) लोगो की रोजी - रोटी का सवाल :
(बी) इस व्यवसाय में दूसरे वर्ग के लोगो की घुश पैठ :
२. वे लोग जो स्वयं के मंदिर या दूसरे लोगो के मंदिरो में दान ग्रहण कर रहे है ,
३. वे लोग जो ज्योतिष का कार्य भी करते है , और शनि वार को दान भी ग्रहण करते है।
४. वे लोग ( व्यव्शाय - नौकरी ) पेशा वर्ग ,. :::::
इन सभी बातो को मध्य नजर रखते हुए समाज के सभी वर्ग के कार्यकर्ताओ,
सभाए , संस्थाए , बुद्धिजीवी वर्ग ( व्यवशायीक एवं सर्विस पेशा वर्ग , प्रशासनिक वर्ग ) भिक्षावृति
वर्ग सभी को एक मंच पर आकर सभी के विचारो को जानना अति महत्वपूर्ण है, समाजिक मंच पर
शांतिपूर्ण ढंग से , इस पर बहस की जाये , लाभ हानि , आत्मगिलानी सभी को एक पलड़े में रख कर
टोला जाये , जो भी पलड़ा भारी हो , विचार करने के उपरांत एक प्रारूप सर्व सम्मति से बनाकर
अखिल भारतीय स्तर पर जारी किया जाये , और उसे अम्ल में लाने के प्रयास किये जाये तो बेहतर
होगा। कुछ विषय मेरे पास समाज के ( respected Advocates ) ke sath सलाह, मसबरा ( क़ानूनी
दाव पेच के भी है , ( जो भी समाज के एडवोकेट्स ) अपने आपको ऑफर करेंगे , उनसे भी इस विषय
पर परामर्श किया जायेगा और उनकी मदद भी ली जाएगी।
किसी भी कार्य को अंजाम देने हेतु (Will power ) को मजबूत करना नितांत आवश्यक है।
आपको समय पुकार रहा है , ललकार रहा है आगे आइये , और बच्चो के भविष्य के लिए एक मत होकर
समाज सेवा में समर्पित हो जाइये , यही वक्त की आवाज है। .
विशेस बात :-- देखा गया है की बच्चो के सम्बन्धो की जब चर्चा लोग करते है ,तो भिक्षावृति , शनिदान
का विषय भी उभर कर सामने आ रहा है ,क्योकि सम्पन लोग ऐसी जगह संबंध बनाते हुए हिचकिचाहट
महसूस करते है। ;;;;
नोट : इस लेख से मेरी भावना किसी को चोट पहुचना या किसी प्रकार की कटाक्ष करने की नही है
यदि किसी की भावना आहत होती है , माफ़ी चाहता हु। …।
( B.S.Sharma )
Delhi
No comments:
Post a Comment