शनि प्रतिमा -शनि दान
भारतीय परम्पराओ के अनुसार मंदिरो में शनि प्रतिमा (क्लश्वा) रंग की
रखी जाती है। इसका कारण बताया जाता है की शनि देव भगवन गर्भ में ही काले हो गए थे।
ग्रंथो में लिखा है की शनि देव भगवन सूर्य जी के पुत्र है और संज्ञा इनकी माता का नाम है।
शनि देव भगवन के मातापिता का रंग दोनों का ही स्वर्ण था ,यह कहना की शनि देव भगवन
कलस्वा ही पैदा हुए थे , यह केवल किवदंतियां है , अतिस्योक्ति भी / कालान्तर में किसी भी
ब्राह्मण द्वारा बनाई गई कथा है , जिसका कोई प्रमाण नही है. साइंटिफिक तरीके से भी बात
की जाये तो भी उचित नहीं कहि जा सकती।
इन बातो को मध्य नजर रखते हुए मै कुछ इस प्रकार के निवेदन करना चाहता
हु , जिससे इन किवदंतियों को बदला जा सके , और नए युग में नए युग का सूत्रपात हो :-
१. पंडित लोग , शनि मंदिरो के पंडित एवं पुजारियों से अनुरोध करुगा की दान दाता को दान के
रूप में डाकोत ब्राह्मण ,या चढ़ावे के तोर पर मंदिर में जो दान शनि प्रतिमा पर चढ़ाया जाता है
वो काला रंग में नही होना चाहिए अर्थात दानदाता को काले रंग के बजाय कुछ और मिठाई ,फल
इत्यादि दान के रूप में बताए। इससे दानदाता को उसके कस्टो के निवारण हेतु अच्छा समाधान
बताए. ।
२. जिन लोगो का यही जीविका का साधन है या अपना एक्स्ट्रा आय का साधन बना रखा
है , वो लोग धीरे धीरे दान लेना बंद कर दे. कोशिस करे की काले रंग के दान से परहेज किया
जाये।
३. मुहावरा प्रशिद्ध है की जैसा खाया अन्न वैसा होगा मन :-
इस मुहावरे को प्रचलन में लाने के लिए , सभी दान लेने वाले डाकोत ब्राह्मण या जो
भी शनि भगवन का दान ग्रहण करते है , उस दान को बाजार में बेच दे , अपने बच्चों को
इस दान से दूर रखे , और इस मुहावरे पर यकीं करे की "" जैसा खाया अन्न वैसा होगा मन "
बच्चों को दान में मिले हुए कपड़े भी पहनने के लिए न दिए जाये तो उचित होगा।
४. भविष्य में सभी पंडित , पुजारी ,दानदाता की मदद करे की वे काले रंग की प्रतिमा को
बढ़ावा न दे कर स्वर्ण रंग या सफेद रंग की प्रतिमा का ही मंदिर में अनावरण करे , जिससे
नए युग में नई प्रतिमा की शुरुयात् करवाये , कराई जाये ताकि शनि देव भगवान खुश नजर
आये.
नोट :- कहा जाता है की जोधपुर के शनि मंदिर में काले रंग का दान बहुत ही कम
चढ़ावा आता है। वहां पर दानदाता दान के रूप में मिठाई , फल ,चॉक्लेट , टाफी वगेरा
शनि मंदिर में शनि भगवन को अर्पित करते है।
( B.S.Sharma )
Delhi.
भारतीय परम्पराओ के अनुसार मंदिरो में शनि प्रतिमा (क्लश्वा) रंग की
रखी जाती है। इसका कारण बताया जाता है की शनि देव भगवन गर्भ में ही काले हो गए थे।
ग्रंथो में लिखा है की शनि देव भगवन सूर्य जी के पुत्र है और संज्ञा इनकी माता का नाम है।
शनि देव भगवन के मातापिता का रंग दोनों का ही स्वर्ण था ,यह कहना की शनि देव भगवन
कलस्वा ही पैदा हुए थे , यह केवल किवदंतियां है , अतिस्योक्ति भी / कालान्तर में किसी भी
ब्राह्मण द्वारा बनाई गई कथा है , जिसका कोई प्रमाण नही है. साइंटिफिक तरीके से भी बात
की जाये तो भी उचित नहीं कहि जा सकती।
इन बातो को मध्य नजर रखते हुए मै कुछ इस प्रकार के निवेदन करना चाहता
हु , जिससे इन किवदंतियों को बदला जा सके , और नए युग में नए युग का सूत्रपात हो :-
१. पंडित लोग , शनि मंदिरो के पंडित एवं पुजारियों से अनुरोध करुगा की दान दाता को दान के
रूप में डाकोत ब्राह्मण ,या चढ़ावे के तोर पर मंदिर में जो दान शनि प्रतिमा पर चढ़ाया जाता है
वो काला रंग में नही होना चाहिए अर्थात दानदाता को काले रंग के बजाय कुछ और मिठाई ,फल
इत्यादि दान के रूप में बताए। इससे दानदाता को उसके कस्टो के निवारण हेतु अच्छा समाधान
बताए. ।
२. जिन लोगो का यही जीविका का साधन है या अपना एक्स्ट्रा आय का साधन बना रखा
है , वो लोग धीरे धीरे दान लेना बंद कर दे. कोशिस करे की काले रंग के दान से परहेज किया
जाये।
३. मुहावरा प्रशिद्ध है की जैसा खाया अन्न वैसा होगा मन :-
इस मुहावरे को प्रचलन में लाने के लिए , सभी दान लेने वाले डाकोत ब्राह्मण या जो
भी शनि भगवन का दान ग्रहण करते है , उस दान को बाजार में बेच दे , अपने बच्चों को
इस दान से दूर रखे , और इस मुहावरे पर यकीं करे की "" जैसा खाया अन्न वैसा होगा मन "
बच्चों को दान में मिले हुए कपड़े भी पहनने के लिए न दिए जाये तो उचित होगा।
४. भविष्य में सभी पंडित , पुजारी ,दानदाता की मदद करे की वे काले रंग की प्रतिमा को
बढ़ावा न दे कर स्वर्ण रंग या सफेद रंग की प्रतिमा का ही मंदिर में अनावरण करे , जिससे
नए युग में नई प्रतिमा की शुरुयात् करवाये , कराई जाये ताकि शनि देव भगवान खुश नजर
आये.
नोट :- कहा जाता है की जोधपुर के शनि मंदिर में काले रंग का दान बहुत ही कम
चढ़ावा आता है। वहां पर दानदाता दान के रूप में मिठाई , फल ,चॉक्लेट , टाफी वगेरा
शनि मंदिर में शनि भगवन को अर्पित करते है।
( B.S.Sharma )
Delhi.
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