Bhirguvanshi.
4th June,2014,Delhi.
निद्रा
B.s.sharma
कलम हाथ में थी ,और बरसात होने लगी
रात बाकी थी,मगर वो साथ खोने लगी ,
अचानक कुछ आहट सी हुई,
तो कुछ जोश सा आने लगा ,
काफी दिनों से साथ थी तो दिल घबराने लगा ,
कोशिश बहुत की ,
की कुछ करता ही जाऊ ,
कलम चलती रहे और इस पर विजय पाऊ ,
मैं खामोश था ,
क्योंकि उसकी गिरफ़त में था,
मंजिल बहुत पास थी,
मगर कुछ कर न सका ,
दिल के अरमां दिल में रह गए ,
न जाने कब कलम हाथ से छूटी ,
और हम बिस्तर पर ढह गए।
4th June,2014,Delhi.
निद्रा
B.s.sharma
कलम हाथ में थी ,और बरसात होने लगी
रात बाकी थी,मगर वो साथ खोने लगी ,
अचानक कुछ आहट सी हुई,
तो कुछ जोश सा आने लगा ,
काफी दिनों से साथ थी तो दिल घबराने लगा ,
कोशिश बहुत की ,
की कुछ करता ही जाऊ ,
कलम चलती रहे और इस पर विजय पाऊ ,
मैं खामोश था ,
क्योंकि उसकी गिरफ़त में था,
मंजिल बहुत पास थी,
मगर कुछ कर न सका ,
दिल के अरमां दिल में रह गए ,
न जाने कब कलम हाथ से छूटी ,
और हम बिस्तर पर ढह गए।
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